राजकीय संग्रहालय झांसी में चितेरी लोक कला (Chiteri Kala) की दो दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हुई। आजादी के अमृत महोत्सव के पावन अवसर चितेरी (Chiteri Kala) कार्यशाला का आयोजन किया गया था। जिसमें ना केवल चितेरी चित्रकारों को बल्कि भाग ले रहे प्रतिभागियों को भी सम्मानित किया गया।
चितेरी लोक कला (Chiteri Kala)
चितेरी कला बुंदेलखंड में पायी जाने वाली सबसे लोकप्रिय व व्यवहारिक कला है। अमूमन ये शादी व्याह के अवसर पर कच्चे घरों की दीवारों पर चित्रित की जातीं है। किंतु आधुनिकता के चलते ना अब कच्चे घर हैं। ना ही इस पारम्परिक कला को लेकर लोग सजग हैं। अतः ये कला भी लुप्त होती लोक कलाओं में से एक है।
कार्यशाला का आयोजन
उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग, झांसी एवं कला/संस्कृतिक समिति के संयुक्त तत्वाधान में इसका आयोजन किया गया। इसका आयोजन विशेष रूप से चित्रकला उपसमिति झाँसी व राजकीय संग्रहालय झांसी ने किया। इसका कार्यशाला का उद्देश्य बुंदेलखंड की लुप्त होती हुई चितेरी लोककला को फिर से जीवित व विकसित करना है।
कार्यशाला का प्रारूप
यह कार्यशाला दो दिवसीय रही। दिनांक १५व १६ मार्च को राजकीय संग्रहालय झांसी की कला वीथिका इसका आयोजन किया गया। पहले दिन चितेरी चित्रकारों के द्वारा चितेरी कला का डेमो दिया गया। चित्रकारों ने तुरंत ही सुंदर चित्रों की श्रिखला चित्रपटल पर जीवंत कर दी। तत्पश्चात् प्रतिभागियों ने भी अपने हाथों को इस कला में आज़माया।
दूसरे दिन के पहले भाग में प्रतिभागियों ने अपने-अपने चित्रों को पूरा किया। इन चित्रित चित्रों को प्रदर्शनी हेतु लगाया गया। दिन के दूसरे भाग में समापन समारोह सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम
पहला दिन -उद्घाटन
कार्यशाला का उद्घाटन समारोह बड़े ही भव्य रूप से आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष श्री पवन गौतम उपस्थित थे। अन्य गणमान्य अथितियों में कला समिति संरक्षक एवं संग्रहालय के उप निदेशक डॉ सुरेश दुबे, समिति की उपाध्यक्ष डॉ नीति शास्त्री भी मौजूद थी। कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती मधु श्रीवास्तव एवं कार्यक्रम की सह संयोजिका श्रीमती कामिनी बघेल रहीं। चितेरी कार्यशाला में 40 बच्चों ने प्रतिभाग किया।
डॉ. सुरेश कुमार दुबे जी ने स्वागत अभिभाषण द्वारा सभी का स्वागत किया। मुख्य अतिथि श्री पवन गौतम ने चितेरी कला के प्रति अपने अनुभवों को साझा किया। लोक कला को राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय पटल पर लाने के लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए। इसके पश्चात पन्नालाल असर व डॉ नीति शास्त्री ने अपने अपने अभिभाषण दिए।
दूसरा दिन-समापन
कार्यशाला के दूसरे दिन भी बच्चों का उत्साह जारी रहा। बच्चों ने चितेरी कला पर आधारित सुंदर- सुंदर चित्रों बनाये। कार्यशाला में निर्मित चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गाय। समापन से पूर्व सभी अतिथियों ने बच्चों द्वारा बनाए गए चितेरी चित्रों का अवलोकन किया। उनके इस प्रयास की सभी ने भूरी-भूरी प्रशंसा की।
समापन समारोह में बोलते हुए मुख्य अतिथि श्री धन्नू लाल गौतम ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें अपनी लोक संस्कृति से जुड़ना चाहिए। इससे पूर्व डॉ सुरेश दुबे ने इस कार्यशाला को कला उपसमिति की अच्छी शुरुआत बताया। किशन सोनी ने झांसी की हर दीवार पर बुंदेली कला के चित्रण की इच्छा जाहिर की। मनमोहन ‘मनु’ ने इस कार्यशाला को सार्थक बताया। अंतिम वक्त के रूप में बोलते हुए मुईन अख्तर ने कहा कि बच्चों को चितेरी कला को लोकप्रिय बनाने का आहवाहन किया।
चितेरी चित्रकारों का सम्मान
इस कार्यशाला में चितेरी चित्रकारों को सम्मानित किया गया। समारोह में चितेरी चित्रकार में प्रमुख रूप से तुकाराम कुशवाहा, मोनू कुशवाहा, मोहित कुशवाहा व संजीव कुशवाहा आदि थे। अतिथियों ने उन्हें अपने हाथों से प्रमाण पत्र दे कर सम्मानित किया। इसके बाद सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गए।
कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती मधु श्रीवास्तव स्वयं एक बुंदेली कला विशेषज्ञ है। उन्होंने कहा कि बुंदेली कला के विकास के लिए समिति सदैव तत्पर है।
उपस्थित गणमान्य लोग
इस अवसर पर किशन सोनी, मुईन अख़्तर, जगदीश लाल, विक्रांत झा, मृदुला सक्सेना, कामिनी बघेल, अलख साहू, डॉ ब्रजेश कुमार, ब्रजेश पाल, साधना निरंजन, मेराज फातिमा, भावना दुबे, सुदर्शन शिव शिवहरे, अमर सोनी, दिनेश श्रृंगऋषि, प्रवीण सिंह राजा, नीलाक्षी सोनी, मुकुल मल्होत्रा, कुसुमलता, सुमन द्विवेदी, हेमलता वर्मा, व अरुंधती द्विवेदी आदि विशेष रूप से उपस्थिति रहे।
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