युवा चित्रकार गजेंद्र सिंह (Gajendra Singh) की दो दिवसीय एकल चित्रकला प्रदर्शनी दिनांक ८ सितम्बर २०२१ को सम्पन्न हुई। गजेंद्र सिंह (Gajendra Singh) की यह प्रदर्शनी कलाविद स्व.भगवान दास गुप्ता कला शैक्षणिक उत्थान समिति जबलपुर और राजकीय संग्रहालय झांसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गयी। इस प्रदर्शनी में युवा चित्रकार गजेंद्र सिंह द्वारा किन्नर विषय पर बने चित्र प्रदर्शित किए गए।
कलाविद स्व भगवानदास गुप्ता की जयंती
इस कार्यक्रम का आयोजन कलाविद स्व.भगवान दास गुप्ता की 90वीं जयंती पर किया गया। स्व.भगवान दास गुप्ता जबलपुर के जाने माने कलाविद थे। उन्हीं के नाम पर कलाविद स्व.भगवान दास गुप्ता कला शैक्षणिक उत्थान समिति जबलपुर संस्था का संचालन उनके सुपुत्र अजय गुप्ता द्वारा किया जा रहा है। गौरतलब है कि अजय गुप्ता स्वयं एक चित्रकार हैं। वर्तमान में वे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के ललित कला संकाय में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत हैं। उन्ही के प्रयासों से कलाविद स्व.भगवान दास गुप्ता कला शैक्षणिक उत्थान समिति विगत चार वर्षों से निरंतर कला के उत्थान के लिए काम कर रही है।

अरावनी- एक विशेष एकल चित्रकला प्रदर्शनी
युवा चित्रकार गजेंद्र सिंह ने अपनी पहली एकल चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन अरावनी शीर्षक से किया। इनके चित्रों के विषय किन्नर समुदाय पर आधारित थे जो अमूमन देखने को नही मिलते हैं। यही बात इस प्रदर्शनी को विशेष बनती है। चित्रकार गजेंद्र ने स्वयं किन्नर समुदाय को नज़दीक से देखा और उसे समझने का प्रयास किया। इस प्रदर्शनी की माध्यम से उन्होंने समाज के सम्मुख एक प्रश्न रखा की किन्नरों को भी समाज में बराबरी का दर्जा क्यूँ नहीं है? कार्यक्रम के दौरान अपने वक्तव्य में बोलते हुए वे भावुक भी हो गए।
वास्तव में उनके चित्रों में इस उपेक्षित समाज को ख़ूबसूरती से उभरा गया। झाँसी के प्रसिद्ध चित्रकार व कला कलाविद मुईन अख़्तर के अनुसार,
इस क़िस्म के विषय पर चित्रकारी करना व समाज के सामने उसे लाना एक साहस का काम जिसे गजेंद्र ने बहादुरी से किया। उन्होंने इसकी परवाह नही की कि समाज में इसकी क्या प्रतिक्रिया होगी। वे वास्तव में एक समंवेदनशील, साहसिक व सच्चे चित्रकार हैं।
–Mueen Akhtar

गजेंद्र सिंह (Gajendra Singh) की दो दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन
अरावनी प्रदर्शनी दो दिन के लिए आयोजित की गयी थी। इस प्रदर्शनी का आयोजन राजकीय संग्रालय झाँसी के संयुक्त तत्वधान में किया गया। प्रदर्शनी अरावनी का उद्घाटन उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. धन्नू लाल गौतम व अन्य गणमान्य अथितियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. सी.बी. सिंह के द्वारा की गयी। अन्य विशिष्ट अथितियों में डॉ सुनीता, डॉ नीति शास्त्री, किशन सोनी नईम खान, मुईन अख़्तर व उमा पराशर रहीं। सभी दर्शकों व अथितियों का स्वागत श्वेता पाण्डेय के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो नईम खान ने किया। अंत में सभी का आभार ज्ञापन अजय गुप्ता के द्वारा किया गया।
अथितियों की प्रतिक्रिया
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ. नीति शास्त्री ने किन्नर समाज पर आधारित चित्रों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि किन्नर समाज भी मानव जाति का अंग है. मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ धन्नुलाल गौतम ने किन्नर समुदाय की पीड़ा को शंकर जी की कथा से तुलना की। उन्होंने कहा कि शंकर जी ने विष पीकर देवी-देवदाताओं को बचाया. किन्नर समाज प्रति लोगों में जागरूकता की जरूरत है.
ललित कला संस्थान की समन्वयक डा. सुनीता ने कला के क्षेत्र में गजेंद्र के उभरते हुए रूप का विस्तार से वर्णन किया। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ चित्रकार किशन सोनी ने कला की बारीकियों से अवगत कराया। इस अवसर पर गजेंद्र की गुरु डॉ.श्वेता पाण्डेय ने कहा किे गजेन्द्र शुरूआत से ही प्रतिभावान छात्र रहा है. उसने विपरीत परिस्थितियों में भी उत्कृष्ठ कार्य करते हुए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की है. शिक्षा के प्रारम्भिक जीवन में ही उसे अनेकों पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं डॉ. उमा पाराशर ने भी अपने विचार व्यक्त किए।


समापन
प्रदर्शनी का समापन ७ सितम्बर को मुख्य अतिथि हरगोविंद कुशवाहा व डॉ. मुन्ना तिवारी के द्वारा किया गया। उल्लेखनीय है कि हरगोविंद कुशवाहा उत्तर प्रदेश के एक राज्य मंत्री एवं अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष हैं। वहीं दूसरी ओर डॉ. मुन्ना तिवारी राष्ट्रीय सेवा योजना बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी के समन्वयक हैं।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा गजेंद्र सिंह को उनके इस विशिष्ट विषय पर चित्रण और उनके द्वारा किए गए अध्ययन के लिए उन्हें शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में कला समीक्षक मुकुंद मेहरोत्रा, डॉ मुहम्मद नईम, संजीव गुप्ता, मुईन अख्तर, मृदुला सक्सेना, शुभ्रा कनकने , ब्रजेश कुमार, आरती वर्मा, फ़ातिमा, उपासना जैन, साधना निरंजन , कामनी मिश्रा, एवं नगर के कला प्रेमी , गणमान्य नागरिक तथा छात्र छात्राए बडी संख्या में उपस्थित रहे। सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया इससे पूर्ब एक कला गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें सुप्रसिद्ध साहित्यकार महेंद्र भीष्म द्वारा अपने उपन्यास मैं पायल हूं, की पृष्ठभूमि पर ऑनलाइन विचार व्यक्त किए।
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