जगदीशलाल- स्क्रैप आर्टिस्ट (Jagadishlal- A Scrap Artist)

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बुंदेलखंड के झाँसी शहर में समय-समय पर कई प्रतिभाशाली लोग जन्म लेते रहे हैं। इन्हीं में से एक ई. जगदीशलाल (Jagadishlal) भी हैं। जगदीशलाल (Jagadishlal) बुंदेलखंड में जन्मे एक ऐसे प्रतिभाशाली चित्रकार हैं, जिन्होंने स्क्रैप कला को एक नया मुक़ाम दिया है। तो चलिए उनके दिलचस्प जीवन व कला यात्रा के बारें में विस्तार से पड़ते हैं।

  • चंचलता व लड़कपन के दिन
  • व्यावसायिक सफ़र
  • सिनेमा और कला
  • फ़िल्म स्टार जितेंद्र के पत्र व जगदीशलाल
  • पिताजी का प्रेम व मार्ग दर्शन
  • ह्रदय परिवर्तन व गम्भीर कलाकार का जन्म
  • स्क्रैप कला से कला यात्रा में महत्वपूर्ण मोड़
  • एक स्क्रैप आर्टिस्ट के रूप में ख्याति
  • झाँसी के वरिष्ठ व चर्चित कलाकारों में से एक
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Jagadishlal

चंचलता व लड़कपन के दिन

जगदीशलाल (Jagadishlal) बचपन में एक बहुत ही चंचल बालक थे। गली मोहल्लों में घूमना फिरना, दोस्ती-यारी और वो सब कुछ जो लड़कपन में किया जाता है वो सब इन्होंने किया। मगर इनके पिता इनके प्रति बहुत सजग थे। उन्होंने कभी भी इनको ग़लत रास्तों पर भटकने नही दिया।

ये वही दिन थे जब लड़कपन और बचपन की शरारतों के साथ-साथ इनकी कला भी जवान हो रही थी। फ़िल्मी दुनिया का असर, कला का साथ व पिताजी की छत्र-छाया ने इनके जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा।

(अवश्य पड़ें- स्क्रैप आर्टिस्ट जगदीश लाल की प्रदर्शनी सितंबर में, काली-चरण अवार्ड की घोषणा)

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Jagadishlal is along with Mueen Akhtar

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व्यावसायिक सफ़र

झाँसी के ख़ुशि-पुरा में जन्में जगदीशलाल (Jagadishlal) के पिताजी पोस्ट ऑफ़िस में काम किया करते थे। जगदीशलाल ने अपनी प्रारम्भिक पढ़ाई इंटर तक की। इसके बाद 1975 में, वे उत्तर प्रदेश रोडवेज़ में पेंटर की नौकरी करने लगे। लगभग एक साल काम करने के पश्चात वे बी. एच. ई. एल. में नौकरी करने लगे। भेल (BHEL) में नौकरी करते-करते ही वे स्क्रैप कला की ओर बड़े।

Jagadishlal Artwork

सिनेमा और कल

सिनेमा व फ़िल्मों का जगदीशलाल (Jagadishlal) के जीवन पर गहरा प्रभाव है। एक समय था जब इनके बनाए हुए पोस्टर झाँसी के लगभग सभी सिनेमाघरों में लगा करते थे। इनकी इस कला प्रतिभा के कारण इनको किसी भी सिनेमा घर में आने-जाने की कोई रोक टोक ना थी। जगदीशलाल (Jagadishlal) एक फ़िल्म को बार-बार सिनेमाघरों में देखते, उनका अध्ययन करते थे। फिर उन किरदारों को अपने चित्रों में उतारा करते थे।

उनके अनुसार उस समय फ़िल्म स्क्रीन नाम की पत्रिका आया करती थी। इस पत्रिका के माध्यम से भी वे फ़िल्मी हस्तियों के व फ़िल्मों के पोस्टर व चित्र तैयार किया करते थे।

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Poster by Jagadish Lal
Poster by Jagadish Lal
Poster by Jagadish Lal
Poster by Jagadish Lal
Poster by Jagadish Lal

फ़िल्म स्टार जितेंद्र के पत्र व जगदीशलाल

जैसा कि बताया जा चुका है कि सिनेमा से इनका किस प्रकार जुड़ाओ था। इसी दौरान इनका पत्र-व्यवहार फ़िल्मी दुनिया के स्टार जितेंद्र से प्रारम्भ हो गया था। एक बार इन्होंने जितेंद्र की आगामी फ़िल्म का पोस्टर की फ़ोटो बनाने के लिए माँगी। जगदीश अक्सर पत्रों को अपने स्कूल में मंगाया करते थे।

अतः जितेंद्र ने इनको अपनी आगामी फ़िल्म हम जोली के पोस्टर की तस्वीर भेज दी। ये तस्वीर इनके प्रिन्सिपल के हाथ लग गयी। स्कूल प्रिन्सिपल ने इनके पिताजी को वो लेटर सोंप दिया। उन्होंने पिताजी को ये हिदायत भी दी कि  अगर इसको समय रहते रोका नही गया तो ये बॉम्बे (मुंबई) फ़िल्मी दुनिया में चला जाएगा।

Jagadishlal's Scrap Work
Jagadishlal’s Scrap Work

पिताजी का प्रेम व मार्ग दर्शन

स्कूल से जितेंद्र का पत्र लिए उनके पिताजी घर आगाए। जगदीशलाल जी अच्छे से जानते थे कि आज उनकी खैर नही। मगर जितेंद्र के पत्र की ख़ुशी व उत्सुकता के कारण आने वाले संकट से जयदा थी। एक बार तो उन्होंने चुपके से उस पत्र व उसमें आयी तस्वीर को पिताजी के घूँटे से टाँगे कपड़ों से निकाला। उसे अच्छे से निहार कर उसे वहीं रख दिया।

रात के भोजन के बाद चूल्हे के पास उनके पिताजी ने जगदीश से वो पत्र लाने को कहा। उनके आदेश का पालन करते हुए बालक ने वो पत्र उन्हें थमा दिया। पत्र को उनकी माँ को दिखाते हुए पिताजी नाराज़ होते हुए बोले,

देखो ये क्या गुल गिल रहे हैं। ये लड़का बिगड़ गया है। इतना कहते ही उन्होंने वो पत्र व तस्वीर चूल्हे में डाल दी। चूल्हे में जलते हुए पत्र व तस्वीर ऐसी लग रहीं थी जैसे मानों हज़ारों अरमान जल रहे हों।

Jagadishlal
One of his great Scrap work in BHEL

ह्रदय परिवर्तन व गम्भीर कलाकार का जन्म

जितेंद्र के पत्र को चूल्हे में जलकर पिताजी ने फिर जगदीशलाल (Jagadishlal) की खबर ली। उस रात उनको इतना पीटा कि उनके घरवालों ने उनको बचाया। इस घटना के बाद बाप-बेटे दोनों कुछ दिन गम्भीर व शांत रहे। बेटे की चंचलता, लड़कपन जैसे ग़ायब हो गयीं हों। पिता को भी अहसास हो गया था कि ज़रा सी बात पर कुछ ज़्यादा प्रतिक्रिया दी। दूसरी ओर पुत्र ने भी चित्रकारी बंद करने का मन बना ही लिया था।

तभी एक दिन पिताजी ने जगदीशलाल को अपने पास बुलाया। उन्होंने जगदीशलाल को फिर से चित्र बनाने के लिए प्रेरित किया। उस समय जो भी कला सामग्री वो अपने बेटे के लिए ला सकते थे, वो लाए। जगदीशलाल के विशेष अनुरोध पर फ़िल्म स्क्रीन पत्रिका भी उनके लिए नियमित रूप से मँगवायी जाने लगी।

यहाँ से एक गम्भीर चित्रकार का जन्म हुआ। चित्रकला के काम में जगदीशलाल इतना रम गए की इन्होंने बाहर घूमना-फिरना छोड़ दिया। इनके दोस्त इनसे मिलने घर आने लगे और इनके चित्रों को देख के दंग रह गए।

Kadak Bijli Canon made by Jagdishlal at Minerva Crossing Jhansi.

स्क्रैप कला से कला यात्रा में महत्वपूर्ण मोड़

लगभग 1975 से जगदीश लाल भेल (BHEL) में नौकरी करने लगे थे। नौकरी के इन्हीं प्रारम्भिक समय की बात है। एक बार इनके पिताजी नैक चंद सेनी की किताब ले कर आए। उन्होंने जगदीशलाल को नैक चंद सेनी से प्रेरणा ले कर भेल में कुछ करने को कहा। ग़ौरतलब हो कि नैक चंद सेनी एक प्रसिद्ध शिल्पकार हैं जिन्होंने चण्डीगढ़ में रॉक गार्डन बनाया था।

अतः पिताजी के प्रेरणा रूपी विचार को साकार रूप देना शुरू कर दिया। भेल में एक उधोग विहार नाम का गार्डन इन्होंने विकसित करना प्रारम्भ किया। इसमें भेल के निकले स्क्रैप को इन्होंने आकार देना आरम्भ कर दिया। देखते ही देखते वो पार्क इतना प्रसिद्ध हुआ की कोई भी बाहर की टीम भेल अति थी तो वो उस पार्क के भ्रमण पर ज़रूर जाती थी।

इसी दौरान वे अपने प्रेरणा श्रोत नैक चंद सेनी से भी मिल के आए। इस प्रकार एक चित्रकार ने एक नया मोड़ लिया और स्क्रैप कला में काम करना अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। यहाँ से जगदीश लाल एक स्क्रैप आर्टिस्ट के रूप में प्रसिद्ध हुए।

एक स्क्रैप आर्टिस्ट के रूप में ख्याति

भेल के स्क्रैप से जगदीश लाल ने कई आश्चर्य चकित कर देने वाली कलाकृतियाँ बनायीं। झाँसी भेल के उधोग विहार नाम का गार्डन इन्हीं कलाकृतियों का केंद्र था। आगे चल के झाँसी महोत्सव में झाँसी की रानी के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर उन्होंने स्क्रैप से कई शिल्प तैयार किया। ये सब आज भी झाँसी के क़िले के पास स्थापित हैं। ये शिल्प साग्रह ना केवल लोगों को झाँसी की रानी की शौर्य गाथा बताता है, अपितु स्क्रैप कला का अनुपान उदाहरण प्रस्तुत करता है।

झाँसी के रेलवे स्टेशन से निकलते ही झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की स्क्रैप से बनी मूर्ति तिराहे पर देखने को मिलती है। मिनर्वा चौराहे पर स्थापित इनके द्वारा बनायी गयी कड़क बिजली तोप भी इनकी स्क्रैप कला के अनुपम संग्रह में से एक है।

इसके अतिरिक्त इन्होंने कई सारी छोटी बड़ी कलाकृतियाँ बनायीं है। इन कला-कृतियों में इन्होंने हर क़िस्म का स्क्रैप प्रयोग में लाया है। प्लास्टिक के सामान हों, या बोतल, घर से निकलने वाले कोई भी कवाड हो, उसको जगदीशलाल ने अपना स्पर्श दे कर कला-कृतियों में बदल दिया।

Telephone by Jagadishlal
Telephone by Jagadishlal

झाँसी के वरिष्ठ व चर्चित कलाकारों में से एक

स्वभाव से हंसमुख, व कला जगत के लिए हमेशा तत्पर, ई. जगदीशलाल कला जगत में बहुत चर्चित हैं। हमेशा नए चित्रकारों के मार्ग दर्शन के लिए वे हमेशा तैयार रहते हैं। उनके काम की बात करें तो उनकी बनायी गयीं कलाकृतियाँ झाँसी के हर महत्वपूर्ण स्थान पर देखने को मिल जाएँगी। अपने जीवन में स्क्रैप (कवाड) या व्यर्थ चीजों को उन्होंने जो आकार दिया वो पूरे बुंदेलखंड में कोई और नही कर सका।

निःसंदेह मेरी नज़र में झाँसी व सम्पूर्ण बुंदेलखंड में उनके जैसा स्क्रैप कलाकार दूसरा नही है। सेवा-निवृत्ति के उपरांत भी वे युवाओं जैसे जोश के साथ चित्रकला कर्म आज भी कर रहे हैं। बुंदेलखंड कला जगत में वे एक नायब सितारे के रूप में हैं। मैं उन्हें हमेशा अपने सम्मुख एक प्रेरणा श्रौत, मार्गदर्शक व एक विश्वसनीय शुभ चिंतक के रूप में पता हूँ। बुंदेली माटी के ऐसे महान प्रतिभाशाली स्क्रैप आर्टिस्ट को मेरा सलाम।

-लेखक

मुईन अख़्तर



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