केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 3 झाँसी (K V No 3 Jhansi) में दिनांक 30 सितम्बर 2021 को 2 दिवसीय पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा की कार्यशाला का समापन किया गया। केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 3 झाँसी (K V No 3 Jhansi) ने यह कार्यशाला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में उल्लेखित पूर्व व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित कराई गयी। इन दो दिनों में छापा कला व मूर्ति-कला की बारे में बच्चों को सिखाया गया।
पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम (Pre-Vocational Education Program)
केंद्र सरकार द्वारा २०२० में नई शिक्षा नीति लायी गयी। इस नई शिक्षा नीति को हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के नाम से जानते हैं। इस नीति में कई महत्वपूर्ण सुझावों को उल्लेखित किया गया है। इन्हीं सुझावों में से एक व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन देने का भी प्रस्ताव था। जिसके तहत इस सत्र से पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम के अनुसार इस सत्र में केंद्रीय विद्यालयों में १० दिन की कार्यशाला विभिन्न व्यवसायिक विषयों पर करवाने के निर्देश हैं। ये कार्यशाला विशेष रूप से संगीत, कला, मूर्ति-कला, इलेक्ट्रिक वर्क, मेटल वर्क व अन्य रोज़गारपरक कार्यों पर कराई जानी है। यह कार्यशाला कक्षा ६ से ८ तक के बच्चों के लिए आयोजित की गयी है।

के वि क्र. ३ झाँसी (K V No 3 Jhansi) में दो दिवसीय कार्यशाला
पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम के तहत केंद्रीय क्रमांक 3 झाँसी में दो दिन की कार्यशाला 29 व 30 सितंबर 2021 को आयोजित की गयी। यह कार्यशाला कक्षा 6 से 8 तक के सभी बच्चों के लिए थी। इस कार्यशाला में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग की समन्वयक डॉक्टर सुनीता ने लीनो छापा कला व मूर्ति-कल पर दोनों दिन बच्चों को महत्वपूर्ण जानकारी व प्रशिक्षण प्रदान किया।


प्रथम दिन (लीनो छापा कला)
पहले दिन के सत्र में सर्व प्रथम विद्यालय के प्राचार्य सुभाष चंद्र श्रीवास्तव कार्यशाला की प्रशिक्षक डॉक्टर सुनीता का पौधा भेंट कर स्वागत किया।अपने स्वागत भाषण में उन्होंने सभी का स्वागत किया। उन्होंने बच्चों को कार्यशाला की उपयोगिता बताते हुए अधिक से अधिक इसका लाभ लेने की सलाह दी। सत्र के प्रारम्भ में कार्यशाला के संयोजक मुईन अख़्तर ने छापा-कला के विषय में बच्चों को प्रारम्भिक जानकारी दी।आगे डॉ सुनीता ने लीनो छापा कला के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने ने बच्चों को व्यवसायिक कला को अपने व्यवहार में लाने की अपील की। कार्यशाला में उपस्थित बच्चों ने पत्तियों व अपने हाथ व उँगलियों से सुंदर छापा कलाकृतियाँ बनायीं। सत्र के अंत में बच्चों में से हसन अहमद व मानसी आनंद ने कार्यशाला के विषय में अपने अनुभव सभी से साझा किए।
रंगीन उपस्थिति
पहले दिन एक चित्र जो सबसे ज़्यादा चर्चित रहा वो था रंगीन उपस्थिति। यह चित्र अपने आप में अनोखा चित्र रहा। इसकी विशेष बात ये थी कि कार्यशाला में उपस्थित सभी बच्चों व शिक्षकों ने अपने हाथों से अलग अलग रंगो के छापा इस चित्र में लगाया है। इस लिए इसे सभी की रंगीन उपस्थिति नाम दिया गया।

दूसरा दिन (मूर्ति-कला)
वहीं दूसरा दिन मूर्ति-कला के नाम रहा। दूसरे दिन के पहले सत्र में बच्चों के सर्वप्रथम मूर्ति-कला व मिट्टी के बारे में बताया गया। उसके बाद डॉक्टर सुनीता ने एक मूर्ति बना के दिखाई और बच्चों को भी स्वयं भी बनाने के लिए कहा। आज की कार्यशाला में बच्चों ने पुनः उत्साह दिखाया। कई सुंदर मूर्ति-शिल्पों का निर्माण बच्चों के माध्यम से किया गया।



समापन समारोह
कार्यशाला के अंत में समापन समारोह आयोजित किया गया। समापन के अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य सुभाष चंद्र श्रीवास्तव ने कहा की पूर्व व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम बच्चों को बारहवीं के बाद अपने पसंदीदा विषय चुनने व सही व्यवसाय के चयन में मदद करता है। इसका उद्देश्य बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा व खुद की दक्षता के प्रति जागरूक करना है। वहीं दूसरी ओर डॉक्टर सुनीता ने अपने सम्बोधन में केंद्रीय विद्यालय संगठन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस क़िस्म के कार्यक्रम को आयोजित करवाने से बच्चों में व्यवसायिक शिक्षा के प्रति रुझान में वृद्धि होगी। इससे आगे चल के बच्चों को अपने रोज़गार चुनने में बहुत आसानी होगी। इससे पहले कार्यशाला के आज के अपने अनुभव को एक छात्रा व छात्र ने साझा किया। छात्रा दृष्टि श्रीवास्तव ने मूर्तिकला में मिट्टी के इतेमाल को ईको फ़्रेंडली बताया। वहीं छात्र युगंक मीना ने कार्यशाला को सभी बच्चों के लिए उपयोगी बताया।
समापन कार्यक्रम का संचालन कार्यशाला के संयोजक विद्यालय के कला शिक्षक मुईन अख़्तर ने किया। सभी का आभार ज्ञापन विद्यालय के उप-प्राचार्य जसवंत सिंह ने किया। इस अवसर पर सिद्धांत कपूर, नीलू गौतम, सुब्रोतो दुबे व हर्ष गुप्ता विशेष रूप से मौजूद रहे।
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